गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

आपकी नियति पर आधारिक एक कहानी अग्यात जी की



एक लड़का एक लड़की को छेड़ रहा था , लड़की ने उसे कहा-क्या प्रॉब्लम है, बुलाऊ पुलिस को....... लड़के ने कहा-पुलिस को बुलाएगी ....बुला पुलिस को, तेरी जेसी बहोत देखी है मैंने....... और उसने उस पर बन्दुक तान दी...........वो लड़की रोने लग गयी। । पास में बहुत सारी भीड़ इकठ्ठी हो गयी, सब तमाशा देख रहे थे, इतने में जो लड़के ने कहा उसे सुनकर सब ताज्जुब में पड़ गए, शर्म के मारे किसी का सर नही उठा, लड़के ने कहा -बचाने नही आओगे इसे .....क्या इतनी भीड़ में किसी की हिम्मत नही ,की इस लड़की को बचा सके , कल जब इंडिया गेट पर इसकी लाश पड़ी होगी ,तब जनाजे में बहोत भीड़ होगी .........इसकी जगह आपकी कोई बहन होती ,तो क्या आप ऐसे ही खड़े तमाशा देखते ,क्या इस लड़की की मौत पर सिर्फ न्यूज़ पेपर पर हेड लाइन ही काफी है क्या ........? क्या यही है हमारा देश ,यही है हमारे देश के युवा .........मर जाना चाहिए तुमको .......की तुम अपनी बहन बेटियो के हिफाजत नही कर सकते । सबको अपने फेसबुक प्रोफाइल पर तिरंगे या देशभक्ति की पिक्चर लगाने का शौक है। लेकिन कोई उसकी मर्यादा का ध्यान नही देता , ये लड़की मर रही है तुम लोग तमाशा देख रहे हो , फिर उस लड़के ने कहा - इस लड़की जेसी मेरी बहन थी ,मार डाला .......दरिंदो ने, तुम लोगो की हैवानियत ने.........सब ऐसे ही तमाशा देखते रह गए , किसी ने उसकी मदद नही की...... अब यही होगा तुम लोगो के साथ ......फिर देखना तमाशा...... फिर उस लड़के ने उस लड़की से माफ़ी मागते हुए कहा- बहन माफ़ करना ,मेरा आपका दिल दुखाने का इरादा नही था .......शायद मेरे इस प्रयास से इन लोगो की अंतरात्मा जाग जाए । उस लड़की ने वापस कहा- भैया आपको मेरा सलाम , काश सब ऐसे होते तो आपकी बहन आज जिन्दा होती ,आज से आप मेरे भाई हो..........। यदि ये कहानी आपके दिल को छू गई । ये कहानी हमे एक वीडियो के जरिये प्राप्त हुई।

सोचनीय मार्गदर्शक कहानी



पापा और बेटी' की दिल को छू लेने वाली कहानी!!

रविवार का दिन है 'अंजली' जो 15 साल की है अपनी गुड़िया के लिए लहंगा सिल रही है वही बरामदे मे बैठे उसके पापा पेपर पढ़ रहे है माँ रसोई घर मे खाना बनाने मे व्यस्त है 'अंजली' अपनी गुड़िया को दुल्हन की तरह सजा रही है अंजली: पापा, देखो मेरी गुड़िया को दुल्हन लग रही है न? पापा: हाँ तेरी गुड़िया तो बड़ी हो गई है उसके लिए दुल्हा ढूँढना होगा . अंजली: पापा आप दुल्हा ढूँढ़ दोगे? पापा: हां, मै तेरी गुड़िया के लिए 'श्री राम' जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा। अंजली: नही पापा 'श्री राम' जैसा नही चाहिये उन्होने माता सीता को कोई सुख नही दिया उनकी 'अग्नी परीक्षा' ली, उसके बाद प्रजा की खुशी के लिए सीता को जंगल मे भटकने के लिए छोड़ दिया, ऐसे लड़के से मै अपनी गुड़िया की शादी नही कर सकती! . पापा: ठीक है तू चिन्ता मत कर श्री कृष्ण जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा। अंजली: श्री कृष्ण की तरह जो राधा से प्यार करे रुक्मणी से शादी करे और गोपियो के साथ रास-लिला करे नही.. ऐसे लड़के से मैं अपनी गुड़िया की शादी नही कर सकती। . पापा: ठीक है बेटी अर्जुन की तरह धनुष धर तो चलेगा? अंजली: नही पापा, अर्जुन के जैसा भी नही चलेगा अपनी पत्नि को जुआ मे हारने वाले लड़के के हाथ मै अपनी गुड़िया का हाथ नही दे सकती! . पापा: अब मै क्या करूँ तेरी गुड़िया के लिये दुल्हा ढूँढ नहीं पाया! अंजली: रहने दो पापा मै 'आज के भारत' की बेटी हूँ,पहले मैं अपनी गुड़ियां को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाऊंगी उसे इतना गुणवान बनाऊंगी कि लड़के वाले मेरी गुड़िया का हाथ मांगने खुद आयेगे उस वक्त मेरी गुड़िया जिसको अपने काबिल समझेगी उसी से उसकी शादी होगी। . पापा: बहुत अच्छा उनका ध्यान पेपर से हट गया वह सोच मे डूब गये आज बात अंजली कि गुड़िया की हो रही है कुछ दिन बाद मेरी गुड़िया 'अंजली' बड़ी होगी उस वक्त कहां से दुल्हा आयेगा,जो उनकी अंजली के काबिल होगा मेरी बेटी के कितने उच्च विचार है वह अपनी गुड़िया का हाथ कितना सोच-समझ कर लायक लड़के के हाथ मे देने की बात कर रही है और मै क्या कर रहा हू अपनी गुड़िया के लिये! वो सोच मे डूबे रहते है अगर हर बेटी अंजली की गुडिया जैसी आत्मनिर्भर बन जाये तो शायद कोई बेटी अपने पिता को बोझ ना लगे... अज्ञात जी (गुरु मेरे) नोट-- यह कहानी मेरी खुद की नही हैधन्यवाद