एक दोहे का चमत्कार
प्रेरणादायक कहानी
एक राजा था जिसे राज भोगते काफी समय हो गया था बाल भी सफ़ेद होने लगे थे । एक दिन उसने अपने दरबार मे उत्सव रखा ।
उत्सव मे मुजरा करने वाली और अपने गुरु को बुलाया । दूर देश के राजाओं को भी ।
राजा ने कुछ मुद्राए अपने गुरु को दी जो बात मुजरा करने वाली की अच्छी लगेगी वह मुद्रा गुरु देगा।
सारी रात मुजरा चलता रहा । सुबह होने वाली थीं, मुज़रा करने वाली ने देखा मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है उसको जगाने के लियें मुज़रा करने वाली ने एक दोहा पढ़ा ,
" बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिहाई ।
एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए। "
अब इस दोहे का अलग अलग व्यक्तियों ने अलग अलग अपने अपने अनुरूप अर्थ निकाला ।
* तबले वाला सतर्क हो बजाने लगा ।
* जब ये बात गुरु ने सुनी, गुरु ने सारी मोहरे उस मुज़रा करने वाली को दे दी
* वही दोहा उसने फिर पढ़ा तो राजा के लड़की ने अपना नवलखा हार दे दिया ।
* उसने फिर वही दोहा दोहराया तो राजा के लड़के ने अपना मुकट उतारकर दे दिया ।
* वही दोहा दोहराने लगी राजा ने कहा बस कर एक दोहे से तुमने वेश्या होकर सबको लूट लिया है ।
# जब ये बात राजा के गुरु ने सुनी गुरु के नेत्रो मे जल आ गया और कहने लगा, " राजा इसको तू वेश्या न कह, ये मेरी गुरू है । इसने मुझें मत दी है कि मै सारी उम्र जंगलो मे भक्ति करता रहा और आखरी समय मे मुज़रा देखने आ गया हूँ ।
भाई मै तो चला।
# राजा की लड़की ने कहा, " आप मेरी शादी नहीं कर रहे थे, आज मैंने आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था । इसनें मुझे सुमति दी है कि कभी तो तेरी शादी होगी । क्यों अपने पिता को कलंकित करती है ? "
# राजा के लड़के ने कहा, " आप मुझे राज नहीं दे रहे थे । मैंने आपके सिपाहियो से मिलकर आपका क़त्ल करवा देना था । इसने समझाया है कि आखिर राज तो तुम्हे ही मिलना है । क्यों अपने पिता के खून का इलज़ाम अपने सर लेते हो?
# जब ये बातें राजा ने सुनी तो राजा ने सोचा क्यों न मै अभी राजतिलक कर दूँ , गुरु भी मौजूद है ।
उसी समय राजतिलक कर दिया और लड़की से कहा बेटा, " मैं आपकी शादी जल्दी कर दूँगा। "
# मुज़रा करने वाली कहती है , " मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, मै तो ना सुधरी। आज से मै अपना धंधा बंद करती हूँ।
हे प्रभु ! आज से मै भी तेरा नाम सुमिरन करुँगी ।
श्री राम जय जय राम जय जय राम ।
श्री राम जय जय राम जय जय राम ।
श्री राम जय जय राम जय जय राम ।
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