बुधवार, 4 जनवरी 2017

गजल जानकारी (तकतीअ)

तक़तीअ -वो विधि जिससे हम किसी मिसरे या शेअर को अरकान की तराज़ू में तौलते हैं ,तक़तीअ कहलाती है ,तक़तीअ से पता चलता है कि शेअर किस बहर में है या बहर से ख़ारिज है !

किसी भी बहर की सबसे छोटी इकाई मात्रा होती है ,बहर में लिखने के लिये तक़तीअ (मात्रा की गिनती ) ही सबसे अच्छा उपाय है ,मात्रा को दो तरह से गिनते हैं लघु और गुरु ,लघु को 1 से और गुरु को 2 से दर्शाते हैं !
👉🏾लघु -सभी छोटे स्वर (अ ,इ उ ,क ,ख तथा इनके साथ इस्तेमाल व्यंजन )एक मात्रिक होते हैं क्योंकि इनके उच्चारण में कम समय लगता है !
👉🏾गुरू -सभी बड़े स्वर (आ ,ई ,ऊ ,ए एे ओ ,औ ,और इनके साथ इस्तेमाल व्यंजन )दो मात्रिक यानि गुरू होते हैं क्योंकि इनके उच्चारण में अधिक समय लगता है !
हिन्दी में सभी व्यंजन की मात्रा 1होती है
क ,ख ,ग घ ,च, छ ,ज, झ ,ट ठ ड ,ण ,त ,थ ,द ,ध ,न ,प ,फ ,ब ,भ ,म ,य ,र ,ल ,व ,श ,ष ,स ,ह !

👉🏾किसी भी व्यंजन में इ ,उ ,ऋ की मात्रा लगाने पर उसका मात्राभार नहीं बदलता यानि एक लघु ही रहता है जैसे 👇🏾
दिन -11 ,जिस -11 ,मिल -11 ऋषि -11,ऋतिक -111 ,आदि !

👉🏾किसी भी व्यंजन में दीर्घ स्वर (आ ,ई ,ऊ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ ,अं )की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार (दीर्घ -गुरू )यानि 2 हो जाता है
जैसे 👇🏾
हारा -22 ,शोला- 22 सीता -22 ,अंकित -211 ,अंग -21,पतंगा-122 आदि !

👉🏾गुरू वर्ण (दीर्घ ) पर अनुस्वार (चाँद बिंदी )लगने से उसके मात्रा भार पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता जैसे 👇🏾
साँप -21 ,नहीं -12,सींच -21,भींच -21,आँचल 211 आदि !

👉🏾शब्द के प्रारंभ में संयुक्ताक्षर का मात्रा भार 1होता है ,जैसे 👇🏾
स्वर -11 ज्वर -11 प्रभा -12 प्लेट -21 न्याय -21 आदि !
👉🏾संयुक्ताक्षर में इ उ ऋ की मात्रा लगने से उसका मात्रा भार 1 (लघु )ही रहता है
जैसे -प्रेम -21 ,श्रुति -11 ,आदि !

👉🏾संयुक्ताक्षर में दीर्घ मात्रा लगने से उसका मात्रा भार 2 (गुरू ) हो जाता है ,यानि कोई शब्द यदि अर्द्ध वर्ण से शुरू होता है तो अर्द्ध वर्ण का मात्रा भार 0 (नगण्य )हो जाता है !
जैसे 👇🏾
भ्राता -22 ,ज्ञान (ग्यान )-21 ,श्याम -21 स्थान -21आदि !

👉🏾जिस वर्ण के आगे विसर्ग (:) होता है ,उस वर्ण में दो मात्रा गिनी जाती हैं
जैसे 👇🏾
अत:-12 ,प्रात: -22 ,निःशब्द -221 आदि !

👉🏾संयुक्ताक्षर से पहले वाले लघु वर्ण का मात्रा भार 2 (गुरू ) हो जाता है यानि किसी शब्द के बीच में अर्द्ध वर्ण आने पर वह पूर्ववर्ती /पहले वाले वर्ण के मात्रा भार को दीर्घ (गुरू ) कर देता है
जैसे 👇🏾
अक्कड़ -211 ,बक्कड़-211 ,चक्षु (चक्शु )-21 , आदि !

👉🏾संयुक्ताक्षर के पहले वाले गुरू /वर्ण के मात्रा भार में कोई फ़र्क नहीं पड़ता
जैसे 👇🏾
प्राप्त -21 ,हास्य -21,भास्कर ,211आदि !

👉🏾अर्द्ध वर्ण के बाद का अक्षर "ह" गुरू (दीर्घ मात्रा धारक )होता है तो अर्द्ध वर्ण भारहीन हो जाता है
जैसे 👇🏾
तुम्हें -12 ,तुम्हारा -122 ,जिन्हें -12 ,कुम्हार -121 ,आदि !

👉🏾बहर -लम्बाई के लिहाज़ से बहरें दो तरह की होती हैं ,मुसम्मन और मुसददस ,जिस बहर के एक मिसरे में चार और शेअर में आठ अरकान होते हैं उसे मुसम्मन बहर कहा जाता है और जिसमें एक मिसरे में तीन ,शेअर में छह अरकान होते हैं उन बहरों को मुसददस कहा जाता है जैसे 👇🏾
सितारों के आगे जहां और भी हैं
122 ,122 ,122, 122
अभी इश्क के इम्तिहांऔर भी हैं
122, 122, 122 ,122

ये 👆🏽आठ अरकान वाली बहर है इसलिए इस बहर को मुसम्मन बहर कहेंगे !

तुम ये कैसे जुदा हो गये
212 ,212 ,212
हर तरफ़ हर जगह हो गये
212, 212 ,212

ये 👆🏽छह अरकान वाली बहर है इसलिए इसे मुसददस बहर कहेंगे !

बहरों के बारे में आगे चलकर विस्तार से जानकारी दी जायेगी !

धन्यवाद

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