*पद्य विधा के विषय में:-*
जिसके अंतर्गत एक टेक या चरण लिया जाता है और फिर उसी के भाव एवं विन्यास के आधार पर पूरे पद का निर्माण होता है !
सबसे सरल विधा मानी गयी है 16 , 16 मात्राओं की विधा जो चौपाई या अरिल्ल विधा में होता है !
पहला टेक या चरण 16 मात्रा का
इसके बाद 16, 16 पर यति ! पहले 16 मात्रा पर तुकांत नहीं होता , पर इसके पश्चात वाले चरण पर तुकांत होना आवश्यक है !
चूँकि पद्य एक संगीतबद्ध रचना होती है इसलिए लय प्रवाह का विशेष रूप से ध्यान रखें !
लय प्रवाह समझने हेतु एक उदाहरण देखें :
जैसे :
जब देइ अस विवेक विधाता : 16
जब अस विवेक देइ विधाता : 16
किन्तु अब इसे ऐसे पढ़े :
जब अस देइ विवेक विधाता : 16
जब विवेक अस देइ विधाता : 16
अस विवेक जब देइ विधाता : 16
16 मात्रा सभी में है परन्तु लय नीचे वाली ३ पंक्तियों में ही आ रहा है !
अब पद्य का एक उदाहरण देखें जो 16 , 16 मात्राभार के अनुरूप है :
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निशिदिन बरसत नैन हमारे !
जब ते पिय बिसराय गयो सखि ,दिन रो,निशि बीतत गिन तारे !
निशिदिन बरसत नैन हमारे ! ------------------------- 16 मात्रा ( टेक )
जब ते पिय बिसराय गयो सखि , --- ( 16 मात्रा , तुकांत निषेध )
दिन रो,निशि बीतत गिन तारे ! ---------- ( 16 मात्रा , तुकांत अनिवार्य )
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यशोधरा के उद्गार महाभिनिष्क्रमण के बाद💔
16,16 पर यति
साँवरिया सोता छोड़ गए !!
बन्धन थे जन्मों जन्मों के ,
क्यूँ मुझे अकेला छोड़ गए !!
बीच राह में हाथ छुड़ा कर,
ये प्यार भरा दिल तोड़ गए !!
मधुमास अभी बीते कब थे,
सब खुशियों के घट फोड़ गए !!
बिरहा की वेदना और अश्रु,
मुझसे ही लगाकर होड़ गए !!
क्या कमी समर्पण में थी जो,
अंतर में व्यथा निचोड़ गए !!
दुःख,जरा, मरण,व्याधि में उलझ,
मुझको पीड़ा से जोड़ गए !!
साँवरिया सोता छोड़ गए !!!
@ब्रजेश शर्मा
16.25hrs
27.06.16
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